संतोष भारतीय
रंगनाथ मिश्र कमीशन की रिपोर्ट को सदन में न रखवा पाने वाले राज्यसभा के सदस्य क्या शक्तिहीन और निर्वीर्य हो गए हैं? क्या राज्यसभा जनता के कमज़ोर वर्गों के लोकतांत्रिक अधिकारों का संरक्षण करने में असफल रहने के कारण अपनी सार्थकता खोती जा रही है? राज्यसभा सर्वशक्तिमान है. राज्यसभा में देश के चुने हुए बुद्धिजीवी, लोकतंत्र के प्रहरी माने जाने वाले नागरिक, संविधानविद्, वरिष्ठ व्यक्ति जो लोकसभा या राज्यसभा के सदस्य रह चुके हैं, सदस्य होते हैं. उनके चुनाव में यद्यपि राजनैतिक दलों की भूमिका होती है, पर माना जाता है कि देश की बुनियादी समस्याओं पर उनका रुख़

कमोबेश एक जैसा ही होगा और वे दलों के दलालों की तरह नहीं, देश के लोकतंत्र के प्रहरी और जनता के हितों के पहरुओं की तरह काम करेंगे.यह सर्वशक्तिमान राज्यसभा कमज़ोरों का जमावड़ा बन गई है. देश के
ऐसे लोगों के हितों की रक्षा नहीं कर पा रही है, जिनके पास आवाज़ उठाने की ताक़त नहीं है. रंगनाथ मिश्र कमीशन का गठन सच्चर कमीशन से पहले हुआ था. इसके टर्म ऑफ रिफरेंस में सुप्रीम कोर्ट के कहने पर अन्य धर्मों में दलितों की पहचान जुड़ा था. ईसाई संगठन सुप्रीम कोर्ट गए थे कि उनके दलितों को भी आरक्षण की सुविधा मिले, जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने यह फैसला लिया था. रंगनाथ मिश्र कमीशन का गठन कमीशन ऑफ इंक्वायरी एक्ट के तहत हुआ था......
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