चौथी दुनिया पढ़िए, फैसला कीजिए

गुरुवार, 11 जून 2009

गलत रणनीति के कारण बिहार में कांग्रेस का बंटाधार

सुरेंद्र किशोर
कांग्रेस ने बिहार में कभी लालू प्रसाद के कथित ‘जंगल राज’ का लगातार साथ देकर ग़लती की और अब वह लालू से दूर हटकर ग़लती कर रही है. अपनी ग़लतियों के कारण लगातार दुबलाती और कुम्हलाती बिहार कांग्रेस यदि अब यह समझ रही है कि वह अकेले अपने बल पर कांग्रेस को बिहार में ताक़तवर बना सकती है, तो वह इस बार भारी ग़लतफहमी में है. अगले कुछ महीनों में राज्य में 17 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होने वाले हैं. इसमें कांग्रेस ज़रा अपने बल पर लड़ कर देख ले! उसको एक बार फिर अपनी वास्तविक ताक़त का अनुमान लग जाएगा. कांग्रेस कौन कहे, अभी तो राजद-लोजपा-कांग्रेस मिलकर भी बिहार में कोई चुनावी करिश्मा करने की स्थिति में नहीं हैं. हां, ये मिलकर काम करें तो देर-सवेर एक मज़बूत विपक्ष बन सकते हैं. लोकतंत्र के लिए मज़बूत विपक्ष ज़रूरी है. पर पता नहीं कांग्रेस को यह बात कब समझ में आएगी! जितनी जल्दी समझ में आ जाए, उसकी सेहत के लिए उतना ही अच्छा होगा. कांग्रेस के महासचिव राहुल गांधी ने कहा है कि कांग्रेस उत्तर प्रदेश और बिहार पर विशेष ध्यान देगी. इससे बिहार के कांग्रेस उत्साहित हैं. आने वाले दिनों में शायद राहुल गांधी बिहार में सक्रिय भी हों, पर यहां कांग्रेस के विकास की गुंजाइश का सीमित है. यहां तो कांग्रेस के अधिकांश वोट बैंक पर एनडीए का पहले ही क़ब्ज़ा हो चुका है. जब लालू-राबड़ी शासन के ख़िला़फ आवाज़ उठा कर कांग्रेस को अपना वोट बैंक बढ़ाने का अवसर था, तब तो वह लालू प्रसाद से गलबहियां कर रही थी. अब यदि कांग्रेस को अपनी ताक़त बिहार में भी बढ़ानी है, तो उसे लालू-पासवान के वोट बैंक की आधारशिला पर ही फिलहाल खड़ा होना पड़ेगा. वैसे भी कांग्रेस इस्तेमाल करो और फेंको की नीति में विश्वास करती ही रही है. कांग्रेस जब लालू-राबड़ी के जंगल राज का अंध समर्थन कर रही थी, तब वह ऐसा भाजपा-विरोध के नाम पर कर रही थी. कांग्रेस कह रही थी कि लालू प्रसाद की मदद से ही सांप्रदायिक शक्तियों को मज़बूत होने से रोका जा सकता है. पर कांग्रेस ने इस बात को भुला दिया कि जनता के समक्ष कौन-सी...
पूरी खबर के लिए पढ़िए 'चौथी दुनिया'

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें