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रविवार, 7 जून 2009

पीएम से पहले सीएम बनेंगे राहुल

रूबी अरुण

राहुल गांधी देखने में जितने सहज हैं, उनकी राजनीतिक भी उतनी ही सरल हैं. दिल्ली की सत्ता के लिए राजनीतिक दलों ने जब टेढ़े और मुश्किल रास्ते अपना लिए थे, तब वह राहुल ही थे जिन्होंने ग़रीबों-अल्पसंख्यकों के बूते कांग्रेस की सरकार सीधे बनवा दी. अब वह एक नए रास्ते पर चल पड़े हैं, जो केंद्र से राज्य की ओर जाता है. दिल्ली की सत्ता से लखनऊ की सत्ता तक जाता है. इस नई राह पर उठे राहुल के क़दमों में लोग इस सवाल का जवाब पा सकते हैं कि मनमोहन सिंह की नई सरकार में भी वह क्यों शामिल नहीं हुए. वह पार्टी के लिए एक और दुर्ग फतह करने जा रहे हैं. वह उत्तर प्रदेश का अगला मुख्यमंत्री बनने जा रहे हैं.केंद्र में यूपीए की सरकार दोबारा बनने के बाद यह सवाल उठाया जा रहा था कि राहुल गांधी ने कैबिनेट मिनिस्टर बनना स्वीकार क्यों नहीं किया? क्यों पार्टी नेताओं की मिन्नतों, प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के आग्रह और मां सोनिया गांधी की इच्छा का मान राहुल गांधी ने नहीं रखा? क्यों राहुल ने ख़ुद के प्रधानमंत्री बनने की सभी संभावनाओं को सिरे से ख़ारिज़ कर दिया? इन सवालों का ज़ाहिर तौर पर जो जवाब है वह यह कि राहुल की नज़रों में मंत्री बन कर कैबिनेट में बैठने से ज़्यादा अहमियत संगठन को मज़बूत करना है. पर जो असल कारण है, वह बेहद कूटनीतिक और अपार दूरदर्शी है...



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