चौथी दुनिया पढ़िए, फैसला कीजिए

गुरुवार, 11 जून 2009

सोनिया जी, अब अपने मंत्रिमंडल पर नज़र डालिए

वीनू संदल


ई सरकार में शामिल 79 मंत्रियों के मंत्रालयों की घोषणा पिछले दिनों कर दी गई. यह संख्या संवैधानिक सीमा से बस तीन ही कम है. यानी हमारे संविधान के मुताबिक वर्तमान में अधिक से अधिक 82 मंत्री हो सकते हैं. सवाल यह उठता है कि हरेक मंत्री को सौंपा गया मंत्रालय आखिर कितना जायज़ है? दूसरे, क्या राज्यों का असमान प्रतिनिधत्व आगे किसी समस्या को जन्म नहीं देगा? तीसरे, क्या मंत्रालयों और विभागों का यह बंटवारा कई स्तरों पर भ्रम की स्थिति पैदा नहीं करता? ये तीनों ही बिंदु परस्पर एक-दूसरे से जुड़े हैं. पहला मसला तो पहले ही कई सवालों की वजह से चर्चित हो चुका है. कई की भौंहें तन चुकी हैं. दूसरा सवाल कई को दिलजला बना चुका है. उदाहरण के लिए, कांग्रेस के सबसे अधिक सांसद आंध्र प्रदेश से आए हैं, जहां पार्टी ने राज्य की 42 में से 33 सीटें जीती हैं. इसके बावजूद, यहां से केवल एक सांसद एस जयपाल रेड्‌डी को ही कैबिनेट मंत्री बनाया गया. दूसरा मज़ेदार उदाहरण उत्तर प्रदेश का है. यहां कांग्रेस ने 21 सीटें जीतकर सबको चकित कर दिया. इस राज्य के किसी भी सांसद को कैबिनेट मंत्री नहीं बनाया गया. मेघालय में लोकसभा की केवल दो सीटें, तुरा और शिलांग हैं. तुरा सीट राकांपा के खाते में गई और कांग्रेस ने शिलांग सीट जीती. राकांपा अगाथा संगमा को मंत्री बनाने पर अड़ गई और इसी वजह से कांग्रेस को विंसेंट पाला को भी मंत्री बनाना पड़ा. दूसरे कई राज्यों, जैसे महाराष्ट्र-जिसे आनुपातिक तौर पर ख़ासा बड़ा प्रतिनिधित्व मिला-में भी यही असमानता देखने को मिलती है. इसके लिए आंशिक तौर पर विधानसभा चुनाव की तैयारी का बहाना दिया जा सकता है. साफ-साफ दिखने वाले इस असंतुलन पर सरकार ज़ाहिर तौर पर यह सफाई दे सकती है कि हरेक राज्य से आने वाले मंत्रियों की संख्या पर अधिक मगजपच्ची नहीं करनी चाहिए, क्योंकि मंत्री तो निस्संदेह राष्ट्रीय हितों को देखने वाले होते हैं. केवल अपने राज्य का ही प्रतिनिधित्व नहीं करते. हालांकि, क्या वास्तविकता ऐसी ही है? उदारहण के लिए, रेलमंत्री ममता बनर्जी ने साफ कर दिया है कि वह अपने कर्तव्य का बेहतर निर्वहन दिल्ली के मुक़ाबले पश्चिम बंगाल से कर सकती हैं (उन्होंने अपने मंत्रालय की कमान भी दिल्ली के बजाय कोलकाता में संभाली थी).



पूरी खबर के लिए पढ़िए 'चौथी दुनिया'

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें