भारत में महिलाओं की तक़दीर ने करवट ले ली है. अगर हमारे कर्णधारों के बयान पर यक़ीन करें तो विधायिका में महिलाओं के लिए 33 फीसदी सीटें आरक्षित करने वाले विधेयक के दिन बहुरने वाले हैं. यह ऐसा बिल है, जो लंबे समय से अटका पड़ा है. कतिपय विरोधों के बावजूद इस पर व्यापक सहमति बन चुकी है. सरकार की कोशिश है कि उच्चतम स्तर की राजनीति में महिलाओं की भागीदारी हो, जिससे देश में बेहतर शासन सुनिश्चित हो सके. राष्ट्रपति के अभिभाषण के मद्देनज़र अगर महिला आरक्षण लागू हो जाता है तो देश की राजनीति का पूरा चेहरा ही बदल जाएगा. वैसे देखा जाए तो न स़िर्फ भारत में बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी इस दृष्टि से महिलाओं की स्थिति अच्छी नहीं है. विश्व की आधी आबादी होने के बाद भी समूची संसदीय प्रणाली में महिलाओं की भागीदारी सिर्फ 18.4 फीसदी ही है. जबकि दुनिया में संसदीय प्रणाली वाले देशों की संख्या 187 है. इनमें से केवल 63 में द्विसदनीय व्यवस्था है. इनमें से भी स़िर्फ 32 देशों में ही महिलाओं को वहां की संसद या उसके किसी सदन का अध्यक्ष बनने का अधिकार मिल सका है. इंटर पार्लियामेंट्री यूनियन के मुताबिक 30 अप्रैल 2009 तक के आंकड़ों के अनुसार संसदीय व्यवस्था वाले देशों में सांसदों की कुल संख्या 44 हज़ार 113 थी. इनमें महिला सांसदों की संख्या महज़ 8 हज़ार 112 थी. पुरुष सांसदों की संख्या महिलाओं की तुलना में क़रीब छह गुणा यानी 36 हज़ार 001 थी. वैसे संसदीय व्यवस्था में महिलाओं की भागीदारी के लिहाज़ से वर्ष 2008 खुशगवार रहा. इस वर्ष दुनिया में महिलाओं की भागीदारी सर्वाधिक रही. हालांकि, फिर भी यह आंकड़ा 18 फीसदी के आसपास ही रहा. इस लिहाज़ से देखा जाए तो महिलाओं की दयनीय तस्वीर ही उभर कर सामने आती है. दुनिया की एक चौथाई संसदों में महिला सदस्यों की संख्या 10 प्रतिशत भी नहीं है. सऊदी अरब में तो महिलाओं को वोट डालने का भी हक़ तक नहीं है. अरब देशों में महिलाओं ने औसतन नौ फीसदी संसदीय सीटें जीती हैं लेकिन क़तर, सऊदी अरब और माइक्रोनेशिया (आठ द्वीपीय देशों का समूह) के इतिहास में कभी कोई महिला सांसद नहीं रही. संयुक्त राष्ट्र के मानकों के मुताबिक विभिन्न संसदों में महिलाओं की भागीदारी 30 फीसदी होनी ही चाहिए. हद तो यह है कि लोकतंत्र के सबसे बड़े पैरोकार और मानवाधिकारों का ठेकेदार बनने वाले अमेरिका में कांग्रेस के दोनों सदनों-सीनेट और प्रतिनिधि सभा-में सर्वाधिक 17-17 महिला सांसद ही चुनी गईं. महिला सांसदों के मामले में फ्रांस का स्थान आठवां है. यहां 50 प्रतिशत महिला मंत्री हैं....
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