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गुरुवार, 11 जून 2009

नशे के बारूद पर बैठा पंजाब

संजीव पांडेय


कभी आतंकी बारूद पर बैठा पंजाब अब नशे की बारूद पर बैठा है. यह बारूद कभी भी विस्फोट कर पूरे पंजाब को निगल सकता है. हालात काफी नाज़ुक हैं, सरकार चुप बैठी है. यह खुलासा किसी और का नहीं, बल्कि पंजाब सरकार के ही समाज कल्याण विभाग ने किया है. खुलासे के मुताबिक राज्य के ग्रामीण इलाक़ों के 67 प्रतिशत परिवारों में एक व्यक्ति तो नशे का आदी हो ही चुका है. कभी हरित क्रांति का जनक रहा यह राज्य आज नशा क्रांति के क़ब्ज़े में आ चुका है. हालांकि अलकोहल एवं देसी शराब का सेवन पंजाब की संस्कृति का हिस्सा रहा है, पर पिछले दो दशकों में स्थिति काफी बदल गई है. अब शराब की जगह नए नारकोटिक और सिंथेटिक ड्रग ले रहे हैं, जो एक ख़तरनाक संकेत हैं.राज्य के सामाजिक सुरक्षा एवं महिला व बाल विकास विभाग के सचिव हरजीत सिंह ने नारकोटिक्स ड्रग एंड साइकोट्रोपिक सबस्टांस एक्ट-1985 के ऊपर बनाए गए एक्शन प्लान पर पंजाब व हरियाणा हाई कोर्ट में दिए गए अपने जवाब में कई गंभीर ख़ुलासे किए हैं. पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने पंजाब सरकार से इस संबंध में जवाब मांगा था. समाज कल्याण विभाग का यह खुलासा अगर सही है तो पंजाब जैसे राज्य को बर्बाद होने से कोई नहीं बचा सकता है. कभी आतंकवाद के दौर में भारी संख्या में युवाओं को खो देने वाले इस राज्य के युवा अब दूसरे ख़तरे की चपेट में आ गए हैं. यह ख़तरा इतना भयानकहै कि आने वाले समय में आतंकवाद से भी ज़्यादा बुरे दौर की आशंका है. समाज कल्याण विभाग के जवाब में ख़ुलासा किया गया है कि राज्य में परंपरागत नशे के अतिरिक्त बड़े पैमाने पर सिथेंटिक ड्रग का इस्तेमाल हो रहा है...
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