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रविवार, 24 मई 2009

जनता ने सिखाया बाहुबलियों को सबक

गंगेश मिश्र

स बार के चुनाव से यह स्पष्ट हो गया कि बाहुबली नेता कहे जाने वाले बड़े-बड़े अभियुक्तों को सबक सिखाने का ज़िम्मा अब जनता ने ख़ुद उठा लिया है. उसने ऐसे लोगों से डरना छोड़ दिया है. बुलेट के ख़िला़फ बैलेट को हथियार बना कर इस्तेमाल करने का साहस आ गया है. राजनीति के अपराधीकरण पर नेताओं से अधिक समझदारी का परिचय देने वाले ये मतदाता सचमुच बधाई के पात्र हैं.बाहुबली नेताओं के भरमार वाले उत्तर प्रदेश और बिहार के चुनाव परिणाम इस मायने में विशेष महत्व के हैं. दोनों राज्यों के मतदाताओं ने एक-दो अपवादों को छोड़ कर तमाम नामी बाहुबली नेताओं को चारों खाने चित कर दिया. भिन्न-भिन्न की तरह की कायरता और कुंठाओं को एकजुट कर एक-दूसरे की कमज़ोरियों से ताक़त लेकर अब तक सफल होते चले आ रहे इन आडंबरी गुस्ताख़ चेहरों से मतदाताओं ने अबकी नक़ाब उतार दिया. लेकिन विडंबना देखिए कि मतदाताओं के तमाम जागरूकता के बावजूद पंद्रहवीं लोकसभा में 150 ऐसे सदस्य पहुंचने में सफल रहे, जो उन सभी धाराओं में आरोपित हैं जो किसी को बाहुबली का दर्ज़ा देने के लिए ज़रूरी होते हैं.सुप्रीम कोर्ट के सख़्त रूख़ के कारण मोहम्मद शहाबुद्दीन, पप्पू यादव, सूरज भान सिंह और अमरमणि त्रिपाठी जैसे बाहुबली नेता इस बार चुनाव नहीं लड़ पाए. फिर भी कथित तौर पर अपराधी कहे जाने वाले सैकड़ों नेता लोकसभा का दरवाज़ा खटखटाने के लिए चुनाव मैदान में थे. इतना ही नहीं, क़ानूनी कारणों से जो बाहुबली नेता ख़ुद चुनाव नहीं लड़ पाए, उन्होंने अपनी राजनीतिक विरासत को बढ़ाने की सुपारी पत्नी और अन्य नज़दीकी रिश्तेदारों को सौंप चुनाव मैदान में उतार दिया था. ऐसे नेता आमतौर पर बिहार में थे. जेल में सज़ा काट रहे सीवान के बाहुबली सांसद डॉ. मोहम्मद शहाबुद्दीन ने अपनी विरासत संभालने के लिए पत्नी हिना शहाब को मैदान में उतार दिया था. लालू के शागिर्द रहे शहाबुद्दीन 1996 में पहली बार सीवान से जीतकर लोकसभा में पहुंचे थे. शहाबुद्दीन की धमक देखिए कि हिना का नामांकन पत्र दाख़िल कराने के लिए राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद ख़ुद सीवान पहुंचे थे. शहाबुद्दीन जेल में रहते हुए भी चुनाव प्रचार की कमान ख़ुद संभाले हुए थे. लेकिन आज़ादी के लगभग छह दशक बाद जागी जनता ने अबकी किसी भी तरह की धौंस में आने से मना कर दिया.सुप्रीम कोर्ट के कारण चुनाव नहीं लड़ पाने पर पत्नी के जरिए चुनाव लड़ने वालों में सूरजभान सिंह भी थे. वह पिछली लोकसभा में बलिया से सांसद थे. दबंग भूमिहार जाति से संबंध रखने वाले सूरजभान सिंह के सितारे जब ख़राब हुए तो सज़ा हो गई. परिसीमन में उनका निर्वाचन क्षेत्र बलिया का वजूद भी ख़त्म हो गया. ऐसे में उन्होंने पत्नी वीणा सिंह को लोजपा के टिकट पर नवादा से चुनाव मैदान में उतारा था. लेकिन सफेद पैंट-शर्ट और जूते के शौकीन सूरजभान सिंह की चमक मतदाताओं ने फीकी कर दी.यही हाल कोसी क्षेत्र में सक्रिय रहे राजेश रंजन...


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