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मंगलवार, 30 जून 2009

नदियों को भी बेचने को तैयार सरकार

कुछ वर्ष पहले ताजा पेयजल के मुद्दे पर एक सम्मेलन का आयोजन किया गया था, जिसमें क़रीबन 130 देशों ने शिरकत की थी. इसमें निष्कर्ष यह निकला था कि बहुत जल्द वह वक्त भी आएगा, जब पानी का वितरण पाइपलाइन और टैंकरों के जरिए किया जाएगाऔर 21 वीं सदी में पानी ही युद्धों का सबब बनेगा. फिलहाल करीबन एक अरब 30 करोड़ लोगों को पेयजल मुहैया नहीं है और लगभग दो अरब 40 करोड़ लोगों को सफाई का पानी उपलब्ध नहीं है. यह मौन ख़तरा लगभग 6000 लोगों की रोज़ना जान लेता है. भविष्य के आसार तो यह भी दिखते हैं कि 2015 तक जनसंख्या की बढ़ोतरी और प्रवास लगभग एक अरब साठ लाख लोगों को पानी के लिए संघर्ष पर मज़बूर करेगा. दो अरब लोगों को सफाई के लिए पानी की ज़रूरत महसूस होगी. पानी के लिए मानवता की मांग दंग करने वाली हद तक यानी 30 फीसदी तक बढ़ेगी. भारत में दूसरे देशों की तुलना में हालात और भी खराब हैं, हम यहां केवल कुछ ज्वलंत उदाहरण देंगे, जिससे पानी की कमी होने के सबूत बिल्कुल स्पष्ट हो जाते हैं. उदाहरण के लिए-
1. दिल्ली-हरियाणा सीमा पर रोहतक रोड पर पानी की सख्त कमी की वजह से दंगे हुए. इसमें तीन पुलिस अधिकारियों के साथ ही लगभग 15 लोग घायल हुए और कई आते-जाते वाहनों को नुकसान पहुंचा.
2. पूर्वी दिल्ली के गोकुलपुरी में पानी को लेकर हुए दंगे ने सांप्रदायिक रूप ले लिया. इसमें दो लोग घायल हुए.
3. राजकोट में लोगों ने एक मृतक के शरीर को वैसे ही छोड़ दिया, जैसे ही उन्होंने पानी के टैंकर को देखा. कारण स्पष्ट था. अंतिम संस्कार तो बाद में भी किया जा सकता है, लेकिन पानी के टैंकर को नहीं छोड़ा जा सकता है.
4. उत्तर भारत में कोई भी विवाह समारोह किसी वधू के कुंआ पूजन...

भारत में नदियों को बेचने की साज़िश
विश्व बैंक और आईएमएफ के इशारे पर भारत में भी पानी को बड़ी कंपनियों और बहुराष्ट्रीय निगमों को बेचा जा रहा है. यहां तक कि नदियों को भी नहीं बख्शा गया. गुणवत्ता और सबको उपलब्धता के नाम जो ख़तरनाक खेल हो रहा है, वह पूरी तरह से ग़ैर-बराबरी और जनता के साथ अन्याय करनेवाला है. यह किसी एक राज्य में या शहर में नहीं हो रहा है. उत्तर से लेकर दक्षिण और पूर्व से लेकर पश्चिम तक भारतीय जनता को आसानी से मिलनेवाला पानी विदेशी कंपनियों को बेचा जा रहा है, जो बदले में उससे सैकड़ो गुणा मुनाफा कमाएंगी. ख़ुद हम उस पानी को ऊलजलूल दाम पर ख़रीदेंगे औऱ बदले में हमें पानी भी नसीब नहीं होगा. या होगा, तो प्रदूषित और ज़हरीला. वैसे तो, हम आपको राज्यवार ब्योरे भी समयानुसार मुहैया कराएंगे, लेकिन पहले देख लें कि किस तरह नदियों की धारा को भी महज कुछ लोगों की स्वार्थ को पूरा करने का...

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