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शुक्रवार, 8 जनवरी 2010

सीआईए और मोसाद की हिंदुस्तान पर बुरी नजर

रूबी अरुण
यह भारत को तोड़ने की बेहद ख़ौफनाक साज़िश है. जिसे रच रही हैं विश्व की दो सबसे खतरनाक खु़फिया एजेंसियां. मक़सद है हिंदुस्तान में गृहयुद्ध का कोहराम मचाना. यहां की ज़म्हूरियत को नेस्तनाबूद करना. संस्कृति और परंपराओं को दूषित-संक्रमित करना, ताकि इस देश का वजूद ही खत्म हो जाए. इसके लिए निशाने पर हैं देश की अज़ीम ओ तरीम 35 हस्तियां. इन दोनों ख़ु़फिया एजेंसियों के एजेंट्‌स न्यायाधीशों, राजनीतिज्ञों, मंत्रियों, नौकरशाहों एवं शीर्ष पत्रकारों की दिन-रात निगरानी कर रहे हैं. यहां तक कि अपने बेहद निजी पलों में भी ये 35 हस्तियां मह़फूज नहीं हैं. जासूसी करने वाले एजेंट्‌स के नाम हैं-ई जासूस, जो बग़ैर दिखे और बिना किसी कैमरे या इलेक्ट्रॉनिक उपकरण के शयनकक्षों तक में घुसकर अपना जाल बिछा चुके हैं. देश की सभी अहम पार्टियों के शीर्ष नेताओं की हरकतें, उनकी बातचीत सहित कुछ भी, इन ई-जासूसों की नज़रों से छुपा नहीं है. सीआईए और मोसाद मिलकर भारत के खिला़फ इस षड्‌यंत्र को अंजाम दे रहे हैं. ज़रिया बना है इंटरनेट. फेसबुक, ऑरकुट, जीमेल, याहूमेल, टि्‌वटर सब पर पैनी नज़र है. अमेरिकी खु़फिया एजेंसी सीआईए ने 20 मिलियन डॉलर निवेश करके इन-क्यू-टेल नाम की एक कंपनी......

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