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शुक्रवार, 8 जनवरी 2010

आंकड़ेबाज़ी नहीं, विकास कीजिए

संध्या पांडे
किसी भी राज्य सरकार द्वारा प्रस्तुत किए जाने वाले आंकड़े हमेशा विकास की एक अकल्पनीय कहानी होते हैं. इनमें सत्यता का प्रतिशत यह तय करता है कि सरकार की नीयत नागरिकों के प्रति कितनी सा़फ है. मध्य प्रदेश सरकार द्वारा करोड़ों रुपये के विज्ञापनों के माध्यम से अब तक जारी किए गए आंकड़े ज़मीनी हक़ीक़त से कहीं दूर हैं. भाजपा इस सरकारी प्रचार को यदि सही मानती है तो यह भविष्य के अंधेरे की ओर एक संकेत साबित हो सकता है. केवल सपने दिखाने और झूठे वायदे करने से राष्ट्र-समाज का विकास संभव नहीं है और वह भी उस समय, जबकि सरकारी अमला अपने निजी हित साधने में लगा हो.

राज्य में सरकारी प्रचार तंत्र ने महीनों तक शोर मचाया कि हर रोज 8 किलोमीटर सड़क बन रही है. पिछले पांच वर्षों में जितनी सड़कें बनीं, उतनी पिछले 50 वर्षों में नहीं बनीं. लेकिन, राजधानी भोपाल के आसपास कई गांव ऐसे हैं, जहां सड़क का नामोनिशान तक नहीं है. कुछ गांवों में तो आज भी आदि मानव सभ्यता के नज़ारे दिखाई देते हैं.....

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