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शुक्रवार, 8 जनवरी 2010

उत्तर बंगाल के आदिवासी टकराव के मूड में

विमल राय
उत्तर बंगाल की हरे सोने वाली धरती डुआर्स में बवाल मचा है. गोरखालैंड की आग से निकलती चिंगारियां हरी पत्तियों को झुलसाने लगी हैं. विमल गुरुंग इस आदिवासी बहुल इलाक़े को गोरखालैंड के ऩक्शे में शामिल करना चाहते हैं, जबकि यहां के बहुसंख्यक आदिवासी जैसे हैं-जहां हैं के आधार पर बंगाल में ही रहना चाहते हैं. बंद चाय बागानों की वजह से इस इलाक़े में पहले से ही भुखमरी के हालात हैं,उस पर गोरखा जनमुक्ति मोर्चा (गोजमुमो)के पथावरोध आंदोलन ने जले पर नमक रगड़ने का सिलसिला शुरू किया है. इस आंदोलन से चाय की ढुलाई भी ठप है और पर्यटन के साथ-साथ तमाम आर्थिक गतिविधियां रुक गई हैं. साल के आ़खिरी दिन का सूरज भी तनाव के माहौल में ही डूबा. थोड़ी भी उम्मीद की लालिमा नहीं दिखी. एक तरफ़ जहां दार्जिलिंग में बर्फ़ पड़ी, वहीं मैदानी इलाक़े में राजनीतिक टकराव की गर्मी बढ़ी. राजमार्गों पर अवरोध आंदोलन कर रहे गोजमुमो कार्यकर्ताओं ने मालबाज़ार में एक एंबुलेंस के ड्राइवर एवं खलासी को पीटा तो सिलीगुड़ी और डुआर्स के बंगाली संगठनों ने दार्जिलिंग जाने वाले तीनों रास्तों को रोक दिया. नाराज़ विमल गुरुंग ने तुरंत 2 जनवरी को बंद का आह्वान कर......

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