रूबी अरुण राजनीतिक दलों में उबाल आ चुका है. रंगनाथ मिश्र कमीशन की अनुशंसाओं को संसद में पेश करने की मांग को लेकर राजनीतिक पार्टियां सरकार के ख़िला़फ आंदोलन की रूपरेखा तैयार कर चुकी हैं. समाजवादी पार्टी इस मसले को लेकर जंतर-मंतर पर धरना-प्रदर्शन करने वाली है. भाजपा, जदयू, राजद एवं लोजपा के सांसद भी संसद और चौथी दुनिया अ़खबार के ज़रिए सरकार पर दबाव बना रहे हैं. इस मसले पर कोहराम मचा हुआ है, पर सरकार ने इस पर बिल्कुल चुप्पी साध रखी है. लिब्रहान आयोग की रिपोर्ट लीक होने के मुद्दे पर चौतऱफा घिरी यूपीए सरकार अब रंगनाथ मिश्र कमीशन की रिपोर्ट चौथी दुनिया में छप जाने के बाद सांसत में पड़ी दिख रही है. समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव कहते हैं कि सरकार तो इस कमीशन की अनुशंसाओं पर ग़र्द डाल चुकी थी. अगर चौथी दुनिया ने इस रिपोर्ट को नहीं छापा होता तो यूपीए सरकार देश के ग़रीब दलित मुस्लिमों और दलित ईसाइयों के हक़ों के साथ खिलवाड़ करने का पूरा मन बना चुकी थी, लेकिन अब ऐसा नहीं हो पाएगा, क्योंकि चौथी दुनिया अख़बार और इसके संपादक संतोष भारतीय ने देश की राजनीतिक पार्टियों को सरकार के ख़िला़फ एक पुख्ता आधार दे दिया है. इसकी बिना पर हम सरकार को इस बात के लिए मजबूर कर देंगे कि वह रंगनाथ मिश्र कमीशन की अनुशंसाओं पर न स़िर्फ संसद में बहस कराए, बल्कि उन्हें लागू भी करे. समाजवादी पार्टी के महासचिव अमर सिंह ख़ासे उत्तेजित हैं. इस मसले पर वह यूपीए सरकार पर बरस पड़ते हैं. कहते हैं कि सरकार ने कमीशन का गठन दलित मुसलमानों और दलित ईसाइयों की आंखों में धूल झोंकने के लिए किया. दरअसल सरकार यह चाहती ही नहीं कि देश का यह कमज़ोर तबका तरक्की करे या आगे ब़ढे. यूपीए सरकार स़िर्फ अपने मतलब का खेल, खेल रही है. अमर सिंह कहते हैं कि उत्तर प्रदेश में 2010 में विधानसभा चुनाव होने हैं, इसलिए सरकार अपने वोट बैंक की चिंता में कमीशन की रिपोर्ट को संसद में पेश नहीं कर रही है. अमर सिंह सवाल करते हैं कि जब दूसरी जाति के लोगों को आरक्षण दिया जा रहा है तो मुसलमानों को बाहर क्यों रखा जा रहा है? सरकार आरक्षण के मसले पर दोहरा मानदंड क्यों अपना रही है? सरकार को इस बात का जवाब देना ही होगा.ज़ाहिर है, चौथी दुनिया में रंगनाथ मिश्र कमीशन की रिपोर्ट छपने के बाद सरकार पर इसे संसद में पेश करने को लेकर दबाव बेहद ब़ढ चुका है. रंगनाथ मिश्र कमीशन की स़िफारिशें ऐसी हैं, जिन पर आसानी से अमल नहीं हो सकता. कमीशन ने जो स़िफारिशें दी हैं, उनके मुताबिक़ केंद्र सरकार और राज्य सरकार की नौकरियों में सभी कैडर और गे्रड के पदों पर अल्पसंख्यकों को 15 फीसदी आरक्षण दिया जाएगा. शिक्षा में भी यह आरक्षण 15 फीसदी होगा. इसमें दस ़फीसदी हिस्सा मुसलमानों को दिया जाएगा. जो अल्पसंख्यक उम्मीदवार सामान्य मेरिट लिस्ट में होंगे, वे आरक्षण सीमा से बाहर होंगे. मुस्लिम और ईसाई दलितों को अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति की सूची में शामिल किया जाएगा.....
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