
तिहासपुरुष अवतार नहीं लेते, अपने कर्मों से बनते हैं. ऐसे लोग अपने जीवनकाल में कुछ ऐसा कर जाते हैं, जिसे आने वाली पीढ़ियां याद रखती हैं, उन्हें नमन करती हैं. जब ऐसे महापुरुषों का जीवन समाज के सबसे ग़रीब और कमज़ोर वर्गों की संघर्ष की कहानी बन जाता है, जो दूसरों के लिए कष्ट उठाता हो, जो अपनी मौत से लड़कर दूसरों की ज़िंदगी संवारता हो, जो मर कर भी बेसहारों का सहारा बन जाता हो. उसे हम मसीहा कहते हैं. वी पी सिंह ऐसे ही लोगों में से हैं.दादरी के किसान खुश हैं. उन्हें न्याय मिला है. जो लड़ाई वी पी सिंह ने छेड़ी थी, उसका परिणाम आया है. दादरी के मामले पर वी पी सिंह ने न स़िर्फ आंदोलन किया, बल्कि उन्होंने इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका भी दायर की.
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