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मंगलवार, 15 दिसंबर 2009

यौनकर्मियों के बच्चे खुद ही लिख डाली जुल्म—ओ—सितम की दास्तां


विमल रॉय
वर्ष 2004 में अमेरिकी महिला फ़िल्मकार जाना ब्रिस्की एवं जॉन कुफमैन ने सोनागाछी की यौनकर्मियों के बच्चों पर एक डाक्युमेंट्री फ़िल्म बनाई-बोर्न इनटू ब्रोथेल्स. इसे साल की सर्वश्रेष्ठ डाक्युमेंट्री फ़िल्म का अवार्ड मिला. 2004 में इसे लेकर कुछ वैसा हो-हल्ला मचा, जैसे इस वर्ष स्लमडॉग मिलेनियर को लेकर मचा था. इनके बच्चों को फोटोग्राफी सिखाने के बहाने दोनों फ़िल्मकारों ने यौनकर्मियों की अंतरंग ज़िंदगी के भीतर तक झांका. एक बच्चे को तो एमस्टर्डम की फोटोग्राफी कांफ्रेंस तक में भेजा गया. इस फ़िल्म ने दोनों हाथों से डॉलर कमाए और एक हिस्सा सोनागाछी की यौनकर्मियों के बच्चों के लिए भी खर्च किया.उक्त बच्चे कुछ समय तक लाइम लाइट में रहे और फिर सारा मामला जस का तस हो गया. कुछ जमालों और लतिकाओं की ज़िंदगी में कुछ समय के लिए बहार आई, पर बाक़ी बच्चों को अभी भी किसी तारणहार का इंतज़ार है.
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