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मंगलवार, 15 दिसंबर 2009

रूपकुंड से आगे की यात्रा

अनंत विजय
पिछले दिनों कई मित्रों से इस बारे में बातें हुईं कि नया क्या पढ़ा है. मित्रों ने कई ऐसी किताबों के नाम बताए जिसे या तो प़ढ चुका था या फिर पत्रों में उसकी चर्चा पढ़कर इतना जान चुका था कि उसमें नया कुछ लग नहीं रहा था. इस बीच एक वरिष्ठ आलोचक से बात हो रही थी. नई किताबों पर उनसे चर्चा शुरू हुई तो उन्होंने कहा कि उत्तराखंड के मुख्यमंत्री रमेश पोखरियाल निशंक की एक किताब-हिमालय का महाकुम्भ नंदा राजजात आई है, और वह किताब उल्लेखनीय है. उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि मुझे वह किताब पढ़नी ही चाहिए. बातचीत खत्म हो गई, लेकिन उस किताब को लेकर मेरे मन में कोई उत्साह नहीं बना.....


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