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शुक्रवार, 1 जनवरी 2010

आतंकवाद के खिलाफ भारत-पाकिस्‍तान का एकजूट होना जरूरी

परवेज हुडभाय


सुरक्षा की तमाम कोशिशों के बावजूद हाल के कई हमले तो और भी नाटकीय थे. कुछ दिन पहले की बात है, जब तालिबानी आतंकवादी सुर्ख़ियों में छाए हुए थे. दरअसल इन आतंकियों ने इस्लामाबाद के पड़ोसी शहर रावलपिंडी में अभेद्य कहे जाने वाले पाकिस्तानी सेना के मुख्यालय पर हमला कर दिया था.भारत और पाकिस्तान भौगोलिक तौर पर अविभाज्य देश हैं, जिन्होंने इतिहास के गर्भ से एक साथ जन्म लिया है. अब नतीजा चाहे कुछ भी हो, इन दोनों देशों का भविष्य हमेशा एक दूसरे से जुड़ा रहेगा. आज इन दोनों देशों में से एक का भविष्य गहरे संकट में है. पठानी कबाइलियों के कट्टरपंथी आतंकवादियों ने मैदानी इलाक़ों और पूरे देश की ओर रुख़ कर लिया है. जबकि यही लोग पहले वज़ीरिस्तान और स्वात के सुनसान पहाड़ी इलाक़ों में अपना अड्डा जमाए रहते थे. पाकिस्तान के हर शहर में लगातार हमले किए जा रहे हैं. आतंक, अपहरण और रोज़मर्रा के आत्मघाती हमलों के ज़रिए चरमपंथियों ने व्यापक तौर पर पाकिस्तानियों की ज़िंदगी बदल दी है. अभी कुछ महीने पहले की बात है, जब पाकिस्तानियों ने राहत की सांस ली थी. स्वात में तहरीक-ए-तालिबान (टीटीपी) के ख़िला़फ सेना के सफल अभियान और अमेरिकी ड्रोन हमले में टीटीपी सरगना बैतुल्लाह मेसूद के मारे जाने के बाद कुछ समय तक इस इलाक़े में शांति बनी रही. कुछ अक्खड़ विश्लेषक जो पाकिस्तान के कई निजी चैनलों पर लगातार बकवास कर रहे थे, उनका मानना था कि टीटीपी बहुत बुरी तरह बिखर चुकी है. लेकिन वे सरासर ग़लत थे. टीटीपी लगातार विभिन्न शहरों में धमाके कर रही है, नतीजतन इस्लामाबाद पूरी तरह ख़ौ़फजदा हो चुका है. सड़कों पर यातायात व्यवस्था रेंग रही है, लेकिन सेना अपनी मशीनगनों के साथ आपको ज़रूर नज़र आ जाएगी. यहां बमुश्किल ही रेस्टोरेंट खुलते हैं. हालत यहां तक है कि बाज़ार सुनसान नज़र आते हैं. अभी भी हमलावरों को रोकना मुश्किल हो रहा है. उन्होंने पेशावर शहर को अपने हमलों से पूरी तरह पैरालाइज़्ड कर दिया. दूसरे हमलों के मुक़ाबले कुछ हमले कहीं अधिक बड़े और भयावह थे, लेकिन एक और बड़े हमले के बाद पहले वाले को भुला दिया जाता है. कार में भरे विस्फोटक ने पेशावर के भीड़भाड़ वाले मीना बाज़ार की दुकानों को उड़ा दिया. एक आत्मघाती हमलावर ने इस्लामाबाद में अंतरराष्ट्रीय इस्लामिक विश्वविद्यालय के गर्ल्स कैफेटेरिया को उड़ाया. लाहौर के पुलिस संस्थान के पास ताबड़तोड़ तीन हमले हुए. खोत में विस्फोटक जैकेट के ज़रिए हुए धमाके से स्कूली लड़कियों को जान गंवानी पड़ी. सुरक्षा की तमाम कोशिशों के बावजूद हाल के कई हमले तो और भी नाटकीय थे. कुछ दिन पहले की बात है, जब तालिबानी आतंकवादी सुर्ख़ियों में छाए हुए थे. दरअसल...
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