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शुक्रवार, 1 जनवरी 2010

नितिन गडकरी का एजेंडा

मनीष कुमार


ताज तो मिल गया है, लेकिन उसमें कांटे बेशुमार हैं. कुछ तो वक्त की चाल ने पैदा किए हैं और कुछ घर के दुश्मनों ने. चुनौती इसी बात की है कि बीच भंवर में डगमगाती पार्टी की नैया को पार कैसे लगाया जाए.


पिसी फूट, अविश्वास, षड्‌यंत्र, अनुशासनहीनता, ऊर्जाहीनता, बिखराव और कार्यकर्ताओं में घनघोर निराशा के बीच चुनाव दर चुनाव हार का सामना, वर्तमान में भारतीय जनता पार्टी की यही फितरत बन गई है. ऐसे व़क्त में भारतीय जनता पार्टी को नया अध्यक्ष मिला है. 52 साल की उम्र वाले लोगों को अगर युवा कहा जा सकता है तो नया अध्यक्ष युवा है. उम्र न सही, लेकिन वह अपने बयानों, तेवर और राष्ट्रीय राजनीति के अनुभव के नज़रिए से युवा मालूम पड़ते हैं. नितिन जयराम गडकरी, राष्ट्रीय राजनीति में एक नया नाम ज़रूर है, लेकिन महाराष्ट्र का यह नेता भारतीय जनता पार्टी के कई दिग्गज नेताओं को पैवेलियन में बिठाकर खुद अध्यक्ष की कुर्सी पर बैठा है. भारतीय जनता पार्टी देश का प्रमुख विपक्षी दल है. देश में प्रजातंत्र मज़बूत करने के लिए भाजपा का मज़बूत होना ज़रूरी है. क्या गडकरी को इस ज़िम्मेदारी का एहसास है? क्या देश को नेतृत्व देने की दूरदर्शिता और इच्छाशक्ति उनके पास है? यह समझने के लिए यह जानना ज़रूरी है कि भारतीय जनता पार्टी के नए अध्यक्ष नितिन गडकरी का एजेंडा क्या है?
भारतीय जनता पार्टी के मुख्यालय में आजकल हलचल है. नितिन गडकरी की टीम में कौन-कौन लोग होंगे? किन-किन लोगों को दरकिनार किया जाएगा? नए अध्यक्ष के रास्ते कौन कांटे बिछाएगा? कुछ कहते हैं कि गडकरी में दम है और कुछ लोगों को लगता है कि अरुण जेटली और सुषमा स्वराज के मुक़ाबले गडकरी का क़द का़फी छोटा है. बहरहाल, भाजपा में नई टीम के गठन की जद्दोजहद चल रही है. पंचांग के हिसाब से अभी खड़मास चल रहा है. ज्योतिषीय गणना में इस अवधि को महत्वपूर्ण कार्यों के लिए सही नहीं माना गया है. इसलिए सारे फैसले 14 जनवरी यानी मकर संक्रांति के बाद लिए जाएंगे. फरवरी के पहले और दूसरे सप्ताह में यह पता चल पाएगा कि भारतीय जनता पार्टी के नए अध्यक्ष की टीम में कौन-कौन शामिल हैं.
नितिन गडकरी ने भाजपा की कमान ऐसे व़क्त में संभाली है, जब यह पार्टी कई स्तर पर, कई दिशाओं से बिखर रही है. संघ और भाजपा के रिश्तों को लेकर पार्टी दो धड़ों में बंटी है. एक तऱफ वे लोग हैं, जिनकी पृष्ठभूमि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की है, जो संघ की विचारधारा में विश्वास रखते हैं और जिन्हें भारतीय जनता पार्टी के कामकाज में संघ के द़खल से गुरेज़ नहीं है. दूसरे वे लोग हैं, जो संघ से जुड़े नहीं हैं, जो संघ की विचारधारा और पार्टी के कामकाज में संघ के हस्तक्षेप का विरोध करते हैं. फिलहाल, संघ के समर्थक भाजपा पर भारी हैं. यही वजह है कि...



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