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शुक्रवार, 1 जनवरी 2010

रूबी अरुण


संप्रग सरकार ग्रामीणों को रोज़गार उपलब्ध कराने की कई योजनाएं चला रही है, इस योजना का सारा दारोमदार ग्रामीण विकास और पंचायती राज मंत्रालय पर है. इस मंत्रालय पर बहुत बड़ी ज़िम्मेवारी है. सीपी जोशी इस मंत्रालय के मंत्री हैं. सरकारी योजनाओं के ज़रिए पंचायतों का विकास और संप्रग सरकार की नरेगा जैसी पायलट प्रोजेक्ट में भारी संख्या में अनियमितताओं की खबर आ रही है. सीपी जोशी यह दावा करते हैं कि वह सोनिया गांधी और राहुल गांधी के बहुत क़रीबी हैं. शायद इसकी दुहाई देकर ही वह मंत्रालय के कामकाज पर कम ध्यान देते हैं. सेलिब्रिटी राजनेता बनने की चाहत रखने वाले सीपी जोशी की दिलचस्पी भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड की राजनीति में ज़्यादा है! उन्होंने हाल ही में राजस्थान क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड के अध्यक्ष पद का चुनाव जीता है. उनके पास ग्रामीण विकास और सरकारी योजनाओं के लिए ज़्यादा व़क्त नहीं बच पाता है. इन योजनाओं का रिश्ता देश के ग़रीब, मज़दूर और गांव में रहने वाली भोलीभाली जनता से है. इसलिए देश की अति महत्वपूर्ण योजनाओं के प्रति उनकी उदासीनता चिंता की बात है. क्या राहुल गांधी जी का ऐसे मंत्री पर ध्यान नहीं जाता?
जोशी के कार्यभार संभालने के बाद से देश के लगभग उन सभी राज्यों से जहां नरेगा प्रभावी है, शिकायतों का अंबार लगा है. पंचायत स्तर पर भरपूर लूटखसोट मची है. बिहार जैसे राज्यों से मज़दूरों का पलायन फिर ज़ोर पकड़ चुका है. ग्रामीण विकास एवं पंचायतीराज मंत्री सी पी जोशी पर यूपीए सरकार की सबसे मज़बूत योजना नरेगा यानी राष्ट्रीय ग्रामीण रोज़गार योजना की ज़िम्मेदारी है. यही वह योजना है, जिसकी मार्केटिंग करके कांग्रेस दोबारा सत्ता हासिल कर सकी. ज़ाहिर है इस योजना में कोई भी कमी या शिकायत न केवल यूपीए सरकार के कामकाज के रिपोर्ट कार्ड को खराब करती है, बल्कि सरकार के मुखिया मनमोहन सिंह, कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और कांग्रेस महासचिव राहुल गांधी की छवि को भी धूमिल करती है. कहने की ज़रूरत नहीं कि...

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