दिनकर कुमार

एक ओर सरकार बिजली उत्पादन की दुहाई देती है तो दूसरी ओर परियोजना का विरोध करने वाले पर्यावरण को नुक़सान, विस्थापन और पुनर्वास का रोना रोते हैं. बराक और तुईवाई नदी के संगम स्थल पर बनने वाले तिपाईमुख बांध परियोजना का विरोध तो मणिपुर के साथ पड़ोसी मुल्क बांग्लादेश में भी हो रहा है. मणिपुर में छह हज़ार करोड़ रुपये की लागत से प्रस्तावित तिपाईमुख पनबिजली परियोजना के निर्माण का पड़ोसी देश बांग्लादेश विरोध करता रहा है. मणिपुर के ग़ैर सरकारी संगठन भी इसके ख़िला़फ आंदोलन चलाते रहे हैं. विरोध और आलोचना को नज़रअंदाज़ करते हुए हाल ही में इस परियोजना की आधारशिला रखी गई.

इससे सा़फ संकेत मिलता है कि केंद्र सरकार इस परियोजना को समय पर पूरा करना चाहती है, लेकिन केंद्रीय पर्यावरण एवं वन मंत्री जयराम रमेश के बयान से ऐसा लगता है कि परियोजना को अंजाम तक पहुंचने में अधिक व़क्त लग सकता है. जलवायु परिवर्तन पर आयोजित एक कार्यशाला को नई दिल्ली में संबोधित करते हुए रमेश ने कहा कि तिपाईमुख एक मुद्दा नहीं, बल्कि एक अनूठी परियोजना है, जिसका शिलान्यास देश के तीन प्रधानमंत्री कर चुके हैं. शायद यह बांध अधर में लटक सकता है. उन्होंने बांध क्षेत्र की जैव विविधता को स्वीकार करते हुए कहा कि वह चार बार बांध क्षेत्र का दौरा कर चुके हैं और उन्हें लगता है कि बांध का निर्माण...
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