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शुक्रवार, 1 जनवरी 2010

मध्‍यप्रदेश और भ्रष्‍टाचार के नज़ारे

संध्या पांडे

ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल, इंडिया की रिपोर्ट में मध्य प्रदेश को कई वर्षों से लगातार देश के अतिभ्रष्ट राज्यों की बिरादरी में शामिल किया जाता रहा है, लेकिन राज्य सरकार के कर्णधारों और समाज के ठेकेदारों को अपनी बदनामी का यह प्रमाणपत्र देखकर भी शर्म नहीं आती. इस रिपोर्ट को लेकर सत्ताधारी भले ही आपत्ति करें, असहमति जताएं, लेकिन आएदिन राज्य शासन-प्रशासन में भ्रष्टाचार के मामले जिस प्रकार खुलकर सामने आते हैं, उनसे तो यही पता चलता है कि मध्य प्रदेश इस देश का सर्वाधिक भ्रष्ट राज्य है. प्रशासन में व्याप्त भ्रष्टाचार समाप्त करने के लिए पुलिस, लोकायुक्त और दूसरे कई सरकारी विभाग काम करते हैं. कुछ मामले उजागर भी होते हैं, लेकिन उसके बाद भी भ्रष्टाचार बरकरार है. हाल ही में लोकायुक्त-पुलिस ने धार में पदस्थ लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग के कार्यपालन यंत्री अजय कुमार श्रीवास्तव के इंदौर स्थित निवास पर छापा मारा और वहां लगभग पांच करोड़ रुपये की बेनामी संपत्ति का पता चला. इंदौर संभाग में शाजापुर के कार्यपालन यंत्री चंद्रमोहन गुप्ता, आर सी चौदाह, मंडला के उपयंत्री आर सी टेमरे, टाइमकीपर रमेश मालवीय, ग्वालियर के कार्यपालन यंत्री के सी अग्रवाल, वी के जैन, रतलाम के कार्यपालन यंत्री तिवारी, ग्वालियर के सहायक यंत्री आर एस भदौरिया, जी एस अग्रवाल, मुरैना के सहायक यंत्री ओ पी गुप्ता और टीकमगढ़ के कार्यपालन यंत्री राजेंद्र प्रसाद सुहाने के अलावा लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग के कई छोटे-बड़े अफसरों के खिला़फ घपलों-घोटालों के मामले लोकायुक्त में चल रहे हैं. आम जनता को पानी पिलाने की सेवा देने वाले लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग की कार्यशैली इतनी गड़बड़ है कि जनता को चाहे पानी मिले या न मिले, लेकिन अफसरों के घर सदा पैसों की बारिश होती रहती है. 11 लाख रुपये के पत्थर स्कूटर पर ढोए : बाण सागर सिंचाई एवं जल विद्युत परियोजना के निर्माण कार्य में जल संसाधन विभाग के कई इंजीनियरों पर घपलों-घोटालों का आरोप लग चुका है. विभाग के छोटे अधिकारियों ने तो भ्रष्टाचार के नए कीर्तिमान क़ायम कर डाले हैं. बाण सागर परियोजना के कटनी वन मंडल में लगभग 10 हज़ार हेक्टेयर वन क्षेत्र और ग़ैर वन क्षेत्र में भूमि कटाव रोकने के लिए 4.50 करोड़ रुपये की एक परियोजना मंजूर हुई थी. इसके तहत खेतों में मेढ़ बंधन, नदी के रास्ते पर पत्थरों की भराई और वृक्षारोपण के लिए बीज छिड़काव आदि काम होने थे, लेकिन इन सभी कामों...



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