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शुक्रवार, 25 दिसंबर 2009

समाज को साई कृपा की जरूरत

साईं बाबा ने अपनी अलौकिक शक्ति से तत्कालीन समाज को चमत्कृत कर दिया था. समाज में व्याप्त जातिपात, ऊंच-नीच के भेद को मिटाकर मानव मात्र में प्रेम की शिक्षा देने के लिए ही साईं बाबा ने संसार में सबसे पहले इस बात की घोषणा की कि सबका मालिक एक है. साईं बाबा सभी धर्म, मज़हब और पंथों का एक समान आदर करते थे. यही कारण है कि आज तक जो भी संत, महात्मा, फक़ीर, पादरी, पैंगबर और गुरु हुए हैं, उनमें शिरडी के साईं बाबा का चरित्र सबसे अलग है.
साईं बाबा ने अपनी साधना और मानव कल्याण का केंद्र शिरडी की एक टूटी-फूटी मस्जिद को बनाया, जहां एक ओर वह हिंदू संतों की तरह मस्जिद के भीतर धूनी रमाकर बैठते थे, वहीं दूसरी ओर उनकी ज़ुबान पर हमेशा अल्लाह मालिक है का वाक्य रहता था. जातिपात, ऊंच-नीच और तत्कालीन समाज में व्याप्त कुरीतियों का विरोध करते हुए साईं बाबा ने अपने भक्तों के सामने भाईचारे, समानता और प्रेम का आदर्श स्थापित किया. सभी धर्मों के धार्मिक पर्व बाबा और उनकी द्वारका मस्जिद पूरे उल्लास के साथ मनाती थी. उनकी कथनी और करनी में भेद नहीं था. मानव मात्र की सेवा ही उनका परम उद्देश्य था....

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