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शुक्रवार, 25 दिसंबर 2009

बुजुर्गों के प्रति सभी गैर जिम्मेदार

डी.आर.आहूजा

समाज हो, संगठन हो अथवा फिर सरकार, वरिष्ठ नागरिकों के प्रति किसी का भी रवैया संवेदनशील नज़र नहीं आता. उनके प्रति उपेक्षा का यह भाव संवेदना को उद्वेलित करने वाला है. जीवन के अंतिम पड़ाव पर पहुंचे लोगों के संबंध में हम अपना दायित्व क्यों भूल जाते हैं?
सरकार वरिष्ठ नागरिकों की देखभाल के लिए नीतियां और कार्यक्रम बनाने के क्रम में 80 वर्ष की अवस्था पार कर चुके बुज़ुर्गों को पूरी तरह नज़रअंदाज़ कर देती है. वह सभी बुज़ुर्गों को एक समान समूह में रखकर ही उनकी समस्याओं को देखती है. जबकि उम्र के आठवें दशक के पार ज़िंदगी जी रहे लोगों की सामाजिक, आर्थिक, भावनात्मक, मनोवैज्ञानिक और स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं भिन्न होती हैं. सरकार ने उनकी विशिष्ट ज़रूरतों और बाधाओं को ध्यान में रखकर कोई भी कार्यक्रम कार्यान्वित नहीं कर रखा है. जबकि वियना इंटरनेशनल प्लान ऑफ एक्शन 1982 में इस तथ्य का स्पष्ट उल्लेख है कि बुज़ुर्गों के लिए, ख़ासकर वे बुज़ुर्ग जो एक निश्चित उम्र सीमा को पार कर चुके हैं, नीतियां और कार्यक्रम बनाने में उनकी ज़रूरतों का अलग से ध्यान रखा जाएगा. जबकि बुज़ुर्गों के लिए मैड्रिड इंटरनेशनल प्लान ऑफ एक्शन 2002 अस्सी से ऊपर के बुज़ुर्गों की ज़रूरतों की परवाह नहीं करता. बावजूद इसके कि उनकी ज़रूरतें 60 से 79 वर्ष उम्र समूह की ज़रूरतों से का़फी अलग होती हैं. बुजुर्गो का यह समूह आर्थिक ज़रूरतों के लिए दूसरों पर ज़्यादा निर्भर है. सामाजिक रूप से ज़्यादा कटा हुआ है, मनोवैज्ञानिक रूप से ज़्यादा दमित है और इन्हें सेहत संबंधी एवं व्यक्तिगत देखभाल की ज़रूरत दूसरों से कहीं ज़्यादा होती है...



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