मनीष कुमार

रंगनाथ मिश्र कमीशन की रिपोर्ट के मुद्दे पर मुलायम सिंह ने लोकसभा की कार्यवाही नहीं चलने दी. 9 दिसंबर को समाजवादी पार्टी के सांसद और मुलायम सिंह ने चौथी दुनिया अ़खबार लोकसभा में लहराया. जब उन्होंने इस अ़खबार में छपी रिपोर्ट का हवाला दिया तो प्रधानमंत्री को इस मसले पर बयान देने के लिए बाध्य होना पड़ा. गौर करने वाली बात यह है कि पिछले कई दिनों से राज्यसभा में रंगनाथ मिश्र कमीशन की रिपोर्ट को लेकर लगातार हंगामा होता रहा. राज्यसभा में अलग-अलग दलों के सांसदों ने रिपोर्ट को सदन में पेश करने की मांग की थी. राज्यसभा में इस मामले पर इतना ज़बर्दस्त हंगामा हुआ कि कई बार सदन की कार्यवाही रोकनी पड़ी. सरकार इस बात से वाक़ि़फ थी कि जिस मुद्दे पर राज्यसभा में हंगामा हो रहा है, वह मामला लोकसभा में भी उठ सकता है. इसलिए यह यक़ीन किया जा सकता है कि सरकार ने इससे निपटने के लिए रणनीति ज़रूर बनाई होगी. सरकार ने इस पर क्या रणनीति बनाई, इसकी जानकारी हमें कांग्रेस के सूत्रों से मिली.

लोकसभा में हंगामे की घटना के ठीक दो दिन बाद यानी 11 तारी़ख को कांग्रेस के सूत्रों ने बताया कि रंगनाथ मिश्र कमीशन की रिपोर्ट को संसद में पेश नहीं किया जाएगा. लोकसभा में जो कुछ भी हुआ, उससे कांग्रेस पार्टी चिंतित है. मुलायम सिंह ने जिस तरह के तेवर दिखाए, और उस व़क्त लोकसभा में जिस तरह हंगामा चल रहा था, उसे शांत करने के लिए प्रधानमंत्री ने यह बयान दे दिया कि रिपोर्ट को इसी सत्र में पेश कर दिया जाएगा. कांग्रेस पार्टी इसे एक ऐसा मुद्दा मानती है, जिससे विपक्ष में फूट पड़ जाएगी. इसलिए इस मामले को जितना टाला जाए, उतना ही सरकार के लिए लाभदायक है. हमारे सूत्रों के मुताबिक़, दलित मुसलमानों और ईसाइयों को आरक्षण की सुविधा देने का सुझाव देने वाली रंगनाथ कमीशन की रिपोर्ट को दबाने के लिए अलग तेलंगाना राज्य के मुद्दे को हवा दी गई है, ताकि मीडिया और विपक्ष का ध्यान बंट जाए. यही वजह है कि राज्यसभा में भी रंगनाथ मिश्र कमीशन की रिपोर्ट को पेश करने की मांग पर सलमान खुर्शीद ने कर्नाटक और आंध्र प्रदेश के मॉडल की बात कहकर असली मुद्दे को टाल दिया. प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने मुलायम सिंह के तेवर को शांत करने के लिए यह तो कह दिया कि रिपोर्ट को....
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