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शुक्रवार, 25 दिसंबर 2009

वतन के लिए मर—मिटने का जज्बा

राजकुमार शर्मा

देशप्रेम किसी बाज़ार में नहीं बिकता और यह सबको मयस्सर भी नहीं है. यह पवित्र भावना जन्मती है संस्कारों से. आईएमए ने पिछले दिनों ऐसे ही लगभग सवा पांच सौ सैन्य अधिकारी राष्ट्रसेवा में समर्पित किए, जो वतन के लिए किसी भी समय मर-मिटने का जज़्बा लेकर अपने घरों से निकले हैं.

उत्तराखंड की पावन धरती से प्रशिक्षण प्राप्त करके 518 सैन्य अधिकारी राष्ट्रसेवा को समर्पित हुए. मौक़ा था देहरादून में भारतीय सैन्य अकादमी की पासिंग आउट परेड का, जिसमें कुल 536 कैडेटों ने भाग लिया. इनमें 18 विदेशी भी शामिल थे. इस अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में नेपाल के सेना प्रमुख छत्रमान सिंह गुरूंग ने परेड की सलामी ली. उन्होंने कहा कि सैन्य अधिकारी सेना की महान परंपरा को आगे बढ़ाएं. मौजूदा वैश्विक परिस्थितियों में सुरक्षा का सवाल सभी राष्ट्रों के लिए सबसे अहम हो गया है, इसलिए सेना में शामिल हो रहे हर अधिकारी को इस चुनौती का मुक़ाबला करने के लिए हर समय तैयार रहना होगा.
भारतीय सेना की महान परंपरा की सराहना करते हुए गुरूंग ने कहा कि भारतीय सैन्य अधिकारी सतत समर्पित भाव से उत्कृष्ट सेवाओं द्वारा अपनी विरासत की रक्षा करें. त्याग, बलिदान, समर्पण, देशभक्ति और साहस सेना के मूल्य एवं आदर्श हैं. नए सेनाधिकारी अपने साथियों एवं कनिष्ठों के लिए प्रेरणास्रोत बनें. उन्होंने अपने प्रशिक्षण काल के स्वर्णिम दिनों को याद कर भारतीय सैन्य अकादमी को दुनिया की सर्वश्रेष्ठ सैन्य अकादमी बताते हुए इसकी सराहना की...


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