चौथी दुनिया पढ़िए, फैसला कीजिए

सोमवार, 21 दिसंबर 2009

भोपाल गैस त्रासदी

संध्या पाण्डे
ढाई दशक का समय कम नहीं होता, लेकिन पीड़ितों के आंसू पोछने की बात कौन कहे, शासन यूनियन कार्बाइड का ज़हरीला कचरा ही मौक़े से नहीं हटवा सका है, जो आज भी जनता के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ कर रहा है. शायद इसी को कहते हैं, अंधेर नगरी-चौपट राजा.
खों लोगों को मौत के मुंह में ढकेलने अथवा अपंग बना देने वाली विश्व की भीषणतम औद्योगिक दुर्घटना भोपाल गैस त्रासदी को राज्य सरकार ने महज़ एक साधारण दुर्घटना मान रखा है. सरकार का कोई भी अधिकारी-कर्मचारी इस पर चर्चा करने के लिए सहज तैयार नहीं दिखता.2/3 दिसंबर 1984 की रात हुए भोपाल गैस कांड को 25 वर्ष बीत चुके हैं, लेकिन यूनियन कार्बाइड कारखाने में पड़ा हज़ारों टन मलवा आज भी शहर केलोगों के शरीर में धीमा ज़हर घोल रहा है. मध्य प्रदेश सरकार इस मलवे को लेकर अभी भी असमंजस की स्थिति में है. सरकार के कुछ ज़िम्मेदार अधिकारी बड़ी लापरवाही से कहते हैं कि कारखाने के मलवे से कोई खतरा नहीं है, लेकिन रसायन विशेषज्ञ मलवे की गहन छानबीन के बाद बताते हैं कि इसमें आज भी का़फी ज़हरीले रसायन मिले हुए हैं, जो हर साल बरसात के मौसम में प्राकृतिक जल में घुलकर कारखाने के आसपास के तीन-चार किलोमीटर तक के क्षेत्र की मिट्टी और भूमिगत जल को प्रदूषित कर रहे हैं. सेंटर फॉर साइंस एंड एन्वायरमेंट की निदेशक सुनीता नारायण ने बताया कि जब राज्य सरकार ने इस मलवे की रासायनिक जांच कराने में कोई रुचि नहीं ली तो इनके संगठन ने केंद्रीय पर्यावरण मंत्री और केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण मंडल की अनुमति तथा राज्य के प्रदूषण नियंत्रण मंडल के सहयोग से भोपाल के मध्य स्थित यूनियन कार्बाइड कारखाने के साथ-साथ आसपास के क्षेत्रों की मिट्टी एवं भूमिगत जल के नमूने प्रयोगशाला जांच के लिए एकत्र करने में सफलता हासिल की. जांच के बाद पता चला कि जो घातक रसायन कारखाने की मिट्टी और पानी में घुले हुए हैं, वे ही कारखाने के आसपास के तीन-चार किलोमीटर तक के क्षेत्र की मिट्टी और पानी में घुले पाए गए. सीसा, पारा और अन्य कई प्रकार के ज़हरीले रसायनों के अलावा कई हैवी मेटल्स घुले होने की वजह से यहां का पानी मनुष्य के शरीर के लिए धीमे ज़हर का काम कर रहा है. पुराने भोपाल में गैस पीड़ितों की बीमारियां लगातार गंभीर हो रही हैं और अब वे नई-नई बीमारियों के शिकार हो रहे हैं. लेकिन सरकार को इसकी कोई चिंता नहीं है. यूनियन कार्बाइड कारखाने की ज़मीन की क़ीमत आज अरबों में है. राज्य सरकार इस भूमि का अधिग्रहण करना चाहती है.
पूरी खबर के लिए पढ़िए चौथी दुनिया.....

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें