चौथी दुनिया पढ़िए, फैसला कीजिए

शुक्रवार, 25 दिसंबर 2009

मोसाद यानी ख़ौ़फ का दूसरा नाम



महिलाओं का सबसे बड़ा हथियार है सेक्स. इस दौरान इधर-उधर की बातें करना इनके लिए बड़ी समस्या नहीं है, लेकिन इसके लिए भी ख़ास साहस की ज़रूरत होती है. बात स़िर्फ दुश्मन के साथ सोने की नहीं, बल्कि ख़ु़फिया जानकारी हासिल करने की होती है.

इज़रायल का दूसरा सबसे बड़ा शहर है तेल अवीव. यहीं एक ऐसी एजेंसी का मुख्यालय है, जिसे हम मोसाद कहते हैं. मोसाद यानी दुनिया की सबसे ख़तरनाक ख़ु़फिया एजेंसी. मोसाद को क़रीब से जानने वालों की मानें तो यह दुनिया की सबसे ख़ौफनाक क़ातिल मशीन की तरह काम करती है. इस क़ातिल एजेंसी के मुखिया की सोच कैसी होगी, यह सोचकर ही रूह कांप उठती है. यह बात हम यूं ही नहीं कर रहे हैं. अपने पेशेवर क़ातिलाना मिशन की हक़ीक़त का ख़ुलासा ख़ुद मोसाद के मुखिया भी करते हैं. वर्ष 2000 से अभी तक मोसाद की कमान संभाल रहे मीर डागन का बयान हमारी उस बात की तस्दीक करता है, जिसमें हम अभी तक मोसाद के ख़तरनाक, बेरहम और क़ातिलाना मिशन की बात करते आ रहे थे. मीर डागन कहते हैं, जब मैं लेबनान में लड़ रहा था तो उस व़क्त हमारे जेहन में मिशन के अलावा कुछ भी नहीं चल रहा था. हमारा मक़सद स़िर्फ और स़िर्फ एक ही था, दुश्मनों का ख़ात्मा. चाहे इसके लिए किसी भी रास्ते को अख्तियार करना पड़े. मीर डागन अपनी बात कुछ इस तरह समझाते हैं, जो महज़ एक मिसाल नहीं, बल्कि उनकी क्रूर और क़ातिल सोच का नतीजा है. डागन बताते हैं कि लेबनान में एक मिशन के दौरान वह एक घर में घुसे. 1`अंदर घुसते ही उन्होंने ताबड़तोड़ हमला कर दिया. जब उन्होंने गोलियों की बरसात बंद की तो देखा कि एक शख्स के सिर में इतनी गोलियां लगी थीं कि उसका सिर धड़ से अलग हो गया था. उसके शरीर के पास उसकी बीवी और चार बच्चों की लाशें पड़ी हुई थीं. इतनी बेरहमी से हत्या के बावजूद उनके चेहरे पर शिकन की कोई लकीर नहीं थी और न ही अ़फसोस की कोई भावभंगिमा. यानी अपने दुश्मनों के ख़ात्मे के लिए वह औरत और बच्चों को भी नहीं बख्शते थे. मोसाद के मिशन की ज़द में जो कोई भी आएगा, उसका अंजाम भी कुछ इसी तरह या इससे भी ख़ौ़फनाक होगा...




पूरी खबर के लिए चौथी दुनिया पढ़े...

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें